Tuesday, April 08, 2008

अंग प्रदर्शन फिल्मों में पहले अब और आगे


पुरानी फिल्मों में तो अंग प्रदर्शन होता ही नहीं था। धीरे धीरे समय बदला और फ़िल्म अभिनेत्रियों ने सफलता के लिए अंग प्रदर्शन का सहारा लेना प्रारम्भ कर दिया। जिन लोगों ने वी .शांताराम के समय की फिल्में देखीं हैं वे तो आज की फिल्मों में हो रहे अंग प्रदर्शन की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। लेकिन क्या करें ज़माना बदल गया है और ज़माने के साथ सभी परिभाषाएं भी बदलती जा रहीं हैं। जब हेलन ने फिल्मों में आईटम सोंग करना प्रारम्भ किया तो लोगों की मांग बढ़ गई और फिर आहिस्ता आहिस्ता वास्तविक अंग प्रदर्शन ने फिल्मों में पैर पसारना प्रारम्भ कर दिया।
अब तो हमें भी इस अंग प्रदर्शन की आदत सी हो गई है परेशानी उस समय प्रारम्भ हो जाती है जब हम उसका विरोध नहीं करते। पहले हमने धीरे धीरे उतरते हीरोइनों के वस्त्रों की आदत डाली फ़िर लगभग नग्न द्रश्य देखने की। हम फ़िर भी चुप रहे शायद हमारा भी स्वार्थ इससे जुडा हुआ था। लेकिन अब बेचैनी सी होती है जब इमरान हाशमी को अपने छोटे छोटे बच्चों के सामने हीरोइनों के वस्त्र उतरते देखते हैं।
सवाल ये है की अब इसके बाद क्या? कभी कभी ये सवाल कई लोगों को परेशान कर जाता है। लेकिन सवाल है और इसका जबाव भी हमें मालूम है। जब इतना कुछ हो सकता है तो क्या पता कल हमें बच्चों के सामने वो सब देखना पड़ जाए जिसकी आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

एक इलाज हे, जो मे भी करता हू, वायकाट यानि ऎसी फ़िल्म ही मत देखो,