Wednesday, April 16, 2008

एक टिप्पणी तो हमका उधार दई दो

जरा ठहरिये, आप तो सिर्फ शीर्षक पढ़ कर ही टिप्पणी देने के लिए तैयार हो गए। कम दे कम एक सरसरी निगाह पूरी पोस्ट पर डाल लेते तो....अरे॥अरे.. आप तो दूसरी जगह टिप्पणी देने जाने लगे. मैं तो सिर्फ इतना अर्ज़ करना चाह रहा था कि चूंकि उधार का मामला है, आख़िर मैंने लौटाना भी तो है. इसलिए मुझे किस प्रकार की टिप्पणी चाहिए बस ये पढ़ लेते तो मेहरबानी होती.

उदाहरण के लिए : चापलूस टिप्पणी नहीं चाहिए।

जैसे-भई वाह! क्या खूब लिखा है।

मज़ा आ गया, आपने तो कमाल ही कर दिया।

अरे यार, क्या गज़ब का बिषय सोचा है तुमने।

हालांकि मैं जानता हूँ कि अभी मुझे इस वर्ग कि टिप्पणियों को हासिल करने के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा क्योंकि इस तरह कि टिप्पणिया अधिकतर वरिष्ठ ब्लागरों की पोस्टों को ही की जाती हैं। जबकि साफ साफ दिख रहा होता है कि टिप्पणी देने वाले ने पूरी पोस्ट पर सिर्फ सरसरी निगाह डाली हुई है उसे पढ़ा नहीं है। पढने का समय किसके पास है, और फिर अखाडे में जब सभी पहलवान हों तो सभी अपने को सम्पूर्ण समझते हैं तो दूसरे की जोर आज़माइश को कौन देखे.

नर्वस करने वाली टिप्पणियां ना करें।जैसे -

ठीक है, लिखते रहो। या कुछ और सोचा होता.

ऐसी टिप्पणियां अधिकतर स्थापित ब्लागरों द्वारा मेरे जैसे नये नवेले ब्लागरों की पोस्टों पर की जाती हैं पढ़ कर कुछ और लिखने की हिम्मत ही नहीं होती।

डराने वाली टिप्पणी ना करें -

अगर लिखना नहीं आता है तो क्यों घुस बैठे हो हम लोगों के बीच। अब तो जिधर से देखो मुंह उठाये अंतर्जाल पर चले आ रहे हैं. पहले सीखो, ब्लॉग देखो दूसरो को पढो फिर ब्लागर बनने की सोचना.

हालांकि ये डराने वाली टिप्पणी है परन्तु इससे मुझे इसलिए डर नहीं लगेगा क्योंकि ऐसी टिप्पणी सिर्फ स्थापित ब्लागर ही दे सकते हैं और ऐसी टिप्पणी में ५-७ पंक्तियाँ लिखना पड़ेंगी और अभी तक की गई टिप्पणियों की हालत देखकर मुझे नहीं लगता कि मुझ जैसे नौसिखिया ब्लागर पर कोई इतना समय बरबाद करेगा।

उनसे भी टिप्पणी नहीं चाहिए जिन्होंने बिना पढे सिर्फ ५-७ ब्लागरों की पोस्टों पर प्रतिदिन टिप्पणियां देने का नियम बना रखा है।

अब छोडिये भी, आप मेरे द्वारे आए मेरी बकवास पर सरसरी निगाह डाली इसके लिए धन्यवाद. (अगर पढ़ा भी है तो दिल से धन्यवाद). आप कैसी भी टिप्पणी देने के लिए स्वतंत्र हैं, पर बदले में मैं आपकी पूरी पोस्ट ध्यान से पढ़कर बेवाक टिप्पणी ही दे सकता हूँ जिसमें चापलूसी नहीं होगी, बेगारी नहीं होगी, मज़बूरी नहीं होगी.

3 comments:

अनूप शुक्ल said...

हमने तो पूरा लेख पढ़ लिया तब टिप्पणी कर रहे हैं। अच्छा लिखा है।

राज भाटिय़ा said...

खुश रहॊ डरो मत, कभी नर्वस मत होये, चाप्लुसी मुझे भी नही पसंद, अब टिपण्णी दे रहा हु, बिलकुल मुफ़त मे कोई उधार नही

राज भाटिय़ा said...

खुश रहॊ डरो मत, कभी नर्वस मत होये, चाप्लुसी मुझे भी नही पसंद, अब टिपण्णी दे रहा हु, बिलकुल मुफ़त मे कोई उधार नही